उभय अगम जुग सुगम नाम तें।
कहेउँ नामु बड़ ब्रह्म राम तें॥
ब्यापकु एकु ब्रह्म अबिनासी।
सत चेतन घन आनँद रासी॥
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निर्गुण और सगुण ब्रह्म दोनों ही जानने में सुगम नहीं हैं, लेकिन नाम जप से दोनों को आसानी से जाना जा सकता हैं, इसी कारण मैंने "राम" नाम को निर्गुण ब्रह्म और सगुण ब्रह्म राम से बड़ा कहा है, जबकि ब्रह्म एक ही है जो कि व्यापक, अविनाशी, सत्य, चेतन और आनन्द की खान है।
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🌺🌼🌻🚩जय श्री सीतारामजी की🚩🌻🌼🌺
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