*****! श्री राम!*****
रामाय राम भद्राय रामचंद्राय वेधसे !
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नमः!
रामं रामानुजं सीतां भरतं भरतानुजम !
सुग्रीवं वायुसूनुं च प्रणमामि पुनः पुनः!
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*******रामायण महाकाव्य*******
रामायणं महाकाव्यं सर्ववेदेषु सम्मति !
सर्वपाप प्रशमनं दुष्ट ग्रह निवारणम!
अर्थात***सूत जी कहते हैं कि मुनियों!
देवर्षि नारद जी ने श्री सनत कुमारों को जिस रामायण नामक महाकाव्य का गान सुनाया था वह समस्त पापों का नाश और दुष्ट ग्रहों के बाधा का निवारण करने वाला है और वह संपूर्ण वेद के तत्वों से अनुकूल और सम्मति वान है!
वरं वरेण्यं वरदं तु काव्यं संतारयत्याशु च सर्वलोकम!
संकल्पितार्थ प्रदमादिकाव्यं श्रुत्वा च रामस्य पदं प्रयाति!!
अर्थात श्री रामायण महाकाव्य अत्यंत उत्तम वरणीय और मनोवांछित वर देने वाला है! श्री रामायण का उत्तम पाठ और श्रवण करने वाले समस्त जगत को शीघ्र ही संसार सागर से पार कर देता है श्री रामायण को सुनकर मनुष्य श्री रामचंद्र जी के परम पद को प्राप्त कर लेता है!
कथा रामायणस्यापि नित्यं भवति यदगृहे!
तद् गृहं तीर्थरुपं हि दुष्टानां पापनाशनम!
इसलिए जिस घर में नित्य प्रतिदिन रामायण की कथा होती है या रामायण का पाठ होता है वह घर दुष्टों के पापों से मुक्त होकर तीर्थ बन जाता है इसलिए रामायण ही भगवान का वांग्मयी स्वरूप है अपने हृदय में प्रभु को धारण कर इसका श्रवण पठान और पूजन अवश्य करें और प्रभु से प्रेम करने के लिए श्री राम नाम का संकीर्तन जरूर करें!
रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम!
सीताराम सीताराम सीताराम जय सीताराम
सीताराम सीताराम सीताराम जय सीताराम
जय रघुनंदन जय सियाराम जानकी वल्लभ तुम्हें प्रणाम!
बंदहु राम लखन वैदेही जय तुलसी के परम स्नेही!
श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम!*********सादर जय सियाराम
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