गुरुवार, 4 अक्तूबर 2018

आज की राजनीति

देखो, पूछो, सोचो, समझो और फिर आव़ाज उठाओ,
पर देखना शान्ति भंग होने न पायें
जो ख़ास अहदों पर बैठे हैं हमारे ही लोग हैं,
देखना आपस में जंग होने न पायें
सारथी समझकर दी हैं जिन्हें देश की कमान
नजर रखना सारथी, दबंग होने न पायें
गुलाब की खेती में काँटों से सामना होने ही वाला हैं,
पर देखना कोई काँटे बोने न पायें
मकसद बड़ा हो तो मुश्किल भी बड़ी आती हैं,
मुश्किलों के चलते मकसद खोने न पायें
परिवर्तन का एक अनोखा ही माहौल है देश में,
छोटी सी गलती से रंग में भंग होने न पायें
जी शांति और ढंग के साथ ये आन्दोलन चल रहा हैं,
देखना मंजिल तक वो ढंग खोने न पायें.

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