शनिवार, 25 दिसंबर 2021



पुण्यं पापहरं सदा शिवकरं विज्ञानभक्तिप्रदं।

मायामोहमलापहं सुविमलं प्रेमाम्बुपूरं शुभम्‌।

श्रीमद्रामचरित्रमानसमिदं भक्त्यावगाहन्ति ये।

ते संसारपतंगघोरकिरणैर्दह्यन्ति नो मानवाः॥


भावार्थ:-यह श्री रामचरित मानस पुण्य रूप, पापों का हरण करने वाला, सदा कल्याणकारी, विज्ञान और भक्ति को देने वाला, माया मोह और मल का नाश करने वाला, परम निर्मल प्रेम रूपी जल से परिपूर्ण तथा मंगलमय है। जो मनुष्य भक्तिपूर्वक इस मानसरोवर में गोता लगाते हैं, वे संसाररूपी सूर्य की अति प्रचण्ड किरणों से नहीं जलते।

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🌺🌼🌻🚩जय श्री सीतारामजी की🚩🌻🌼🌺

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