निश्चित्वा यः प्रक्रमते
नान्तर्वसति कर्मणः,
अवन्ध्यकालो वश्यात्मा
स वै पण्डित उच्यते।।
भावार्थः- *जिनके प्रयास एक दृढ़ प्रतिबद्धता से शुरु होते हैं, जो कार्य पूर्ण होने तक ज्यादा विश्राम नहीं करते हैं, जो समय नष्ट नहीं करते हैं और जो अपने विचारों पर नियंत्रण रखते हैं, वह बुद्धिमान है।।*
🌹🙏 *_गिरीराज धरण की जय हो_*🙏🌹
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