जय श्री हरि।
अपने को शुद्ध (अच्छा) बनाना चाहिये।अपने को शुद्ध बनायें
तो लोक-परलोक सब ठीक हो जायेंगे। 'मामकाः' और
'पाण्डवाः-यह भेद ही नाश करनेवाला है।अन्त में विजय
उसकी होती है, जो धर्म का ठीक पालन करता है। धर्म का बल ही बल है। न्याययुक्त मनुष्य के भीतर जो बल रहता है, वह अन्यायी के भीतर नहीं रहता।
स्वामी रामसुखदासजी महाराज,
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