शनिवार, 25 दिसंबर 2021

 *सानन्दं सदनं सुताश्च सुधिय:*

               *कान्ता प्रियभाषिणी l*

*सन्मित्रं सधनं स्वयोषिति रति:*

               *चाज्ञापरा: सेवका:  ll*

*आतिथ्यं शिवपूजनं प्रतिदिनं*

                *मिष्ठान्नपानं गृहे   l*

*साधो: संगमुपासते हि सततं*

                *धन्यो गृहस्थाश्रम:  ll*


भावार्थ -- *घर में सभी आनन्द हों, पुत्र बुद्धिमान् हो, पत्नी प्रिय बोलने वाली हो, अच्छे मित्र हो, धन हो, पति - पत्नी में प्रेम हो, सेवक आज्ञाकारी हो, जहां अतिथि सत्कार हो, सदा देव - पूजन होता हो, प्रतिदिन स्वादानुसार भोजन बनता हो और सत्पुरुषों का हमेशा संग होता हो -- ऐसा गृहस्थाश्रम धन्य है l*


            

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