शनिवार, 25 दिसंबर 2021



राम  भालु  कपि कटुक बटोरा।

सेतु  हेतु  श्रमु  कीन्ह न  थोरा॥

नामु  लेत  भवसिन्धु   सुखाहीं।

करहु  बिचारु सुजन मन माहीं॥

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      श्रीरामजी को तो भालू और बंदरों की सेना को एकत्र करने में और समुद्र पर पुल बाँधने के लिए बहुत परिश्रम करना पड़ा था, लेकिन नाम लेने मात्र से संसार समुद्र ही सूख जाता है, सज्जन मनुष्यों मन में विचार तो करो।

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