शनिवार, 25 दिसंबर 2021



अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं

दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌।


सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं

रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ 


***

        अतुल बल के धाम, सुमेरु के पर्वत के समान कान्ति से युक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन को ध्वंस करने के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्रीरघुनाथ जी के प्रिय भक्त पवन के पुत्र श्रीहनुमान्‌ जी को मैं नमन करता हूँ। 



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