ब्रह्म राम तें नामु बड़ बर दायक बर दानि।
रामचरित सत कोटि महँ लिय महेस जियँ जानि॥
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"राम" नाम निर्गुण ब्रह्म और सगुण ब्रह्म दोनों से बड़ा है जो कि वरदान देने वालों को भी वर प्रदान करने वाला है। श्रीशंकर जी ने सौ करोड़ राम चरित्र में से इस "राम" नाम को सार रूप में चुनकर अपने हृदय में धारण किया हुआ है।
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