मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

आज का अतीत

सूरज आया गगन मेंफैला धवल प्रकाश।
मूरख दीपक हाथ लेखोज रहा उजियास।।

गले मिलें जब प्यार सेरामू और रसीद। 
अपने प्यारे देश मेंसमझो तब ही ईद।।

अच्छी सूरत देखकरमत होना अनुरक्त। 
जग के मायाजाल सेमन को करो विरक्त।।

काली छतरी ओढ़ केआते गोरे लोग।
बारिश में करते सभीछाते का उपयोग।।

शाम हुई सूरज ढलागयी धरा से धूप। 
ज्यों-ज्यों बढ़ती है उमर, त्यों-त्यों ढलता रूप।।

शनिवार, 1 दिसंबर 2018

आज का ज्ञान

आज का ज्ञान

           ~  स्त्री के बगैर  ~
     पुरुष की जिंदगी 👉 बेकार है.
 उसे हमेशा एक स्त्री का साथ चाहिए.
   फिर वो चाहे मन्दिर हो या संसार.

 मंदिर में कृष्ण के साथ --> *राधा*
               राम के साथ --> *सीता*
            शंकर के साथ --> *पार्वती*

       सुबह से रात तक मनुष्य को
            अपने हर काम में
              *एक स्त्री की*
          आवश्यकता होती ही है.

       पढ़ते समय --> *विद्या*
                फिर --> *लक्ष्मी*
       और अंत में -->  *शाँति*
दिन की शुरुआत --> *ऊषा* के साथ,
 दिन की समाप्ति --> *संध्या* से होती है.
   किन्तु काम तो --> *अन्नपूर्णा* के
                           लिये ही करना है.

    रात यानी --> *निशा* के समय भी
                         *निंदिया रानी*
     सोने के बाद --> *सपना*

 मंत्रोच्चार के लिये --> *गायत्री*
          ग्रंथ पढ़ें तो --> *गीता*

  👇 मंदिर में भगवान के सामने 👇
          *वंदना, पूजा, अर्चना*
            *आरती, आराधना*
                और ये सब भी ...
   केवल --> *श्रद्धा* के साथ.

       अंधेरा हो तो  --> *ज्योति*

       अकेलापन लग रहा हो तो -->
         *प्रेमवती* एवं  *स्नेहा*

          लड़ाई लड़ने जायें तो -->
         *जया* और *विजया*

      बुढ़ापे में --> *करुणा* वो भी
                  --> *ममता* के साथ.

    गुस्सा आ जाए, तब --> *क्षमा*

   इसीलिए तो धन्य है --> स्त्री जाति
    जिसके  बगैर ~ पुरुष अधूरा है.

      मुझे *आशा* है, कि आप
  मेरी *भावना* को समझ चुके होंगे.

Dedicate to all friends , sister and daughter....

पिता :- कन्यादान नहीं करूंगा जाओ ,
                मैं नहीं मानता इसे ,
क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं ,जिसको दान में दे दूँ ;
मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में ,
       पति के साथ मिलकर निभाना तुम ,
मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा ,
 आज से तुम्हारे दो घर ,जब जी चाहे आना तुम ,
  जहाँ जा रही हो ,खूब प्यार बरसाना तुम ,
सब को अपना बनाना तुम ,पर कभी भी
  न मर मर के जीना ,न जी जी के मरना तुम ,
तुम अन्नपूर्णा , शक्ति , रति सब तुम ,
        ज़िंदगी को भरपूर जीना तुम ,
न तुम बेचारी , न अबला ,
       खुद को असहाय कभी न समझना तुम ,
मैं दान नहीं कर रहा तुम्हें ,
        मोहब्बत के एक और बंधन में बाँध रहा हूँ ,
उसे बखूबी निभाना तुम .................
*एक नयी सोच एक नयी पहल*सभी बेटियां के लिए

🔰🚥🚥🔰

🌿➖बोये जाते हैं बेटे..
🌿➖पर उग जाती हैं
           बेटियाँ..

🌿➖खाद पानी बेटों को..
🌿➖पर लहराती हैं बेटियां.

🌿➖स्कूल जाते हैं बेटे..
🌿➖पर पढ़ जाती हैं
          बेटियां..

🌿➖मेहनत करते हैं बेटे..
🌿➖पर अव्वल आती हैं
          बेटियां..

🌿➖रुलाते हैं जब खूब बेटे.
🌿➖तब हंसाती हैं बेटियां.

🌿➖नाम करें न करें बेटे..
🌿➖पर नाम कमाती हैं
          बेटियां..

🌿➖जब दर्द देते हैं बेटे...
🌿➖तब मरहम लगाती
         हैं बेटियां..

🌿➖छोड़ जाते हैं जब बेटे..
🌿➖तो काम आती हैं
          बेटियां..

🌿➖आशा रहती है बेटों से.
🌿➖पर पूर्ण करती हैं
           बेटियां..

🌿➖हजारों फरमाइश से
           भरे हैं बेटे....
🌿➖पर समय की नज़ाकत
          को समझती बेटियां..
🌿➖बेटी को चांद जैसा
          मत बनाओ कि हर
         कोई घूर घूर कर देखे..

       📍लेकिन📍
    -----------------------
🌿➖बेटी को सूरज जैसा
         बनाओ ताकि घूरने से
        पहले सब की नजर झुक
        जाये..🌞🌞


मंगलवार, 13 नवंबर 2018

छठपूजा की उपासना

छठ उत्सव के केंद्र में छठ व्रत है जो एक कठिन तपस्या की तरह है। यह छठ व्रत अधिकतर महिलाओं द्वारा किया जाता है; कुछ पुरुष भी इस व्रत रखते हैं। व्रत रखने वाली महिलाओं को परवैतिन कहा जाता है। चार दिनों के इस व्रत में व्रति को लगातार उपवास करना होता है। भोजन के साथ ही सुखद शैय्या का भी त्याग किया जाता है। पर्व के लिए बनाये गये कमरे में व्रति फर्श पर एक कम्बल या चादर के सहारे ही रात बिताती हैं। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नये कपड़े पहनते हैं। जिनमें किसी प्रकार की सिलाई नहीं की गयी होती है व्रति को ऐसे कपड़े पहनना अनिवार्य होता है। महिलाएँ साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ करते हैं। ‘छठ पर्व को शुरू करने के बाद सालों साल तब तक करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की किसी विवाहित महिला इसके लिए तैयार न हो जाए। घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर यह पर्व नहीं मनाया जाता है।’

ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाएँ यह व्रत रखती हैं। पुरुष भी पूरी निष्ठा से अपने मनोवांछित कार्य को सफल होने के लिए व्रत रखते हैं।
भारत में सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ। मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-समृद्धी तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। स्त्री और पुरुष समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं। छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं; उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये, तब श्री कृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएँ पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिला। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है। लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी। छठ पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि (छठ) को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन होता है, इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें (Ultra Violet Rays) पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं इस कारण इसके सम्भावित कुप्रभावों से मानव की यथासम्भव रक्षा करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। पर्व पालन से सूर्य (तारा) प्रकाश (पराबैगनी किरण) के हानिकारक प्रभाव से जीवों की रक्षा सम्भव है। पृथ्वी के जीवों को इससे बहुत लाभ मिलता है। सूर्य के प्रकाश के साथ उसकी पराबैगनी किरण भी चंद्रमा और पृथ्वी पर आती हैं। सूर्य का प्रकाश जब पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पहले वायुमंडल मिलता है। वायुमंडल में प्रवेश करने पर उसे आयन मंडल मिलता है। पराबैगनी किरणों का उपयोग कर वायुमंडल अपने ऑक्सीजन तत्त्व को संश्लेषित कर उसे उसके एलोट्रोप ओजोन में बदल देता है। इस क्रिया द्वारा सूर्य की पराबैगनी किरणों का अधिकांश भाग पृथ्वी के वायुमंडल में ही अवशोषित हो जाता है। पृथ्वी की सतह पर केवल उसका नगण्य भाग ही पहुँच पाता है। सामान्य अवस्था में पृथ्वी की सतह पर पहुँचने वाली पराबैगनी किरण की मात्रा मनुष्यों या जीवों के सहन करने की सीमा में होती है। अत: सामान्य अवस्था में मनुष्यों पर उसका कोई विशेष हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि उस धूप द्वारा हानिकारक कीटाणु मर जाते हैं, जिससे मनुष्य या जीवन को लाभ होता है।[कृपया उद्धरण जोड़ें] छठ जैसी खगोलीय स्थिति (चंद्रमा और पृथ्वी के भ्रमण तलों की सम रेखा के दोनों छोरों पर) सूर्य की पराबैगनी किरणें कुछ चंद्र सतह से परावर्तित तथा कुछ गोलीय अपवर्तित होती हुई, पृथ्वी पर पुन: सामान्य से अधिक मात्रा में पहुँच जाती हैं। वायुमंडल के स्तरों से आवर्तित होती हुई, सूर्यास्त तथा सूर्योदय को यह और भी सघन हो जाती है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार यह घटना कार्तिक तथा चैत्र मास की अमावस्या के छ: दिन उपरान्त आती है। ज्योतिषीय गणना पर आधारित होने के कारण इसका नाम और कुछ नहीं, बल्कि छठ पर्व ही रखा गया है।

छठ पूजा

गेहूं का ठेकुआ, चावल के लड्डू
खीर,अन्नानास, निम्बू, और कद्दू
छठी मैया करे हर मुराद पूरी
बाटे घर घर लड्डू…
जय छठी मैया शुभ छठ पूजा!

सबके दिलो मे हो सबके लिए प्यार
आनेवाला हर दिन लाए खुशियों का त्योहार
इस उम्मीद के साथ आओ भुलाकर सारे ग़म
छठ पूजा का हम सब करे वेलकम
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं!

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा चार दिन तक चलने वाला पर्व है ज‍िसे बहुत ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। नहाय-खाय से लेकर उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने तक चलने वाले इस पर्व का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है। वहीं इसे सेहत से भी जोड़ा गया है।

छठ पूजा के दौरान लोग उपवास रखकर भगवान ब्रह्मा जी की मानस कन्या छठ देवी की पूजा करते हैं और किसी नदी या तालाब में कमर तक पानी में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते है। छठ पूजा का पर्व लोग भगवान सूर्य से अपने परिवार की सफलता और खुशियों की कामना करने के लिए करते है। कहीं-कहीं इस त्‍योहार को छठ पूजा, डाला छठ, डाला पूजा, सूर्य षष्ठी से भी जाना जाता है।

1. छठ पूजा का पावन पर्व है, सूर्य देव की पूजा का पर्व
    करो मिल के सूर्य देव को प्रणाम, और बोलो सुख शांति दे अपार
    हैपी छठ पूजा।

2. सबके दिलों में हो सबके लिए प्यार,
    आने वाला हर दिन लाए खुशियां अपार,
    इस उम्मीद के साथ आओ भूल के सारे गम
    छठ पूजा 2018 को हमसब करें welcome.


3. सात घोड़ों के रथ पर सवार, भगवान सूर्य आएं आपके द्वार
  किरणों से भरे आपका घर संसार, छठ पूजा हो आपके लिए समृद्धि का त्योहार।

4. छठ पूजा का सुंदर त्योहार, त्योहार है आनंद का,
  त्योहार है प्रार्थना का, त्योहार है अपने हिंदुस्तान का,
   हैपी छठ पूजा।

5. जो हैं जगत के तारण हार ,
   सात घोड़ों की है जिनकी सवारी,
   ना कभी रुके, ना कभी देर करे,
    ऐसे हैं हमारे सूर्य देव ,
    आओ मिल कर करें,
   इस छठ पूजा पर उनकी पूजा
     हैपी छठ पूजा।

6. सुनहरे रथ पर होके सवार,
   सूर्य देव आएं हैं आपके द्वार,
    छठ पर्व की शुभकामनांए,
    मेरी ओर से करें स्वीकार,
     हैपी छठ पूजा।

7. मंदिर की घंटी, आरती की थाली,
   नदी के किनारे सूरज की लाली,
  जिंदगी में आए खुशियों की बहार,
  आपको मुबारक हो छठ का त्‍योहार।

8.  छठ पूजा आए बके उजाला,
   खुल जाये आप की किस्मत का टला,
   हमेशा आप मपैर रहे मेहरबान ऊपर वाला,
   यही दुआ करता है आपका ये चाहने वाला।


9. एक खूबसूरती...!
  एक ताजगी...!
  एक सपना....!
  एक सचाई...!
  एक कल्पना...!
  एक अहसास...!
  एक आस्था...!
 एक विश्वास...!
 ये है छठ की शुरुआत,
 शुभ रहे आपका छठ का पर्व।

10. खुशियों का त्योहार आया है,
    सूर्य देव से सब जगमगाया है,
    खेत खलिहान धन और धान,
   यूँ ही बनी रहे हमारी शान,
   छठ पूजा की शुभकामनाएँ।

11. एक पूरे साल के बाद,
   छठ पूजा का दिन आया है,
  सूर्य देव को नमन कर,
  हमने इसे धूम धाम से मनाया है,
  छठ पूजा की शुभकामनाएंं।

12. द्विचार, सदाचार, प्रेम और भक्ति,
   यही है सूर्य देव को, प्रसन्न करने की शक्ति,
    छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएंं…!!

13. निसर्ग को वंदन करें,
    मन में श्रद्धा और स्नेह भरें,
   छठ पूजा के शुभ अवसर पर,
  आओ दिल से एक दुसरे को याद करें,
    छठ पूजा की शुभकामनाएंं।

14. कोई दुख न हो,
  कोई ग़म न हो,
  कोई आंख भी नम न हो,
  कोई दिल किसी का तोड़े न,
  कोई साथ किसी का छोड़े,
  बस प्यार का दरिया बैठा हो,
  काश छठपूजा ऐसा हो।

15. छठ का आज है पावन त्‍योहार,
   सूरज की लाली माँ का हैं उपवास
  जल्दी से आओ अब करो न विचार
  छठ पूजा का खाने तुम प्रसाद
   छठ पूजा की शुभकामनाएं…

इन संदेशों को आपके साथ शेयर करने के साथ ही हमारी भी यही प्रार्थना है क‍ि आप सभी के ल‍िए छठ पूजा का पर्व मंगलमय हो और देव सूर्य आपको हर सुख प्रदान करें।

अयोध्या में आज का आधुनिक सुविधाएं

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