शनिवार, 25 दिसंबर 2021

 जय श्री हरि।


अपने को शुद्ध (अच्छा) बनाना चाहिये।अपने को शुद्ध बनायें

तो लोक-परलोक सब ठीक हो जायेंगे। 'मामकाः' और

'पाण्डवाः-यह भेद ही नाश करनेवाला है।अन्त में विजय

उसकी होती है, जो धर्म का ठीक पालन करता है। धर्म का बल ही बल है। न्याययुक्त मनुष्य के भीतर जो बल रहता है, वह अन्यायी के भीतर नहीं रहता।


स्वामी रामसुखदासजी महाराज,




*⚜️ आज का प्रेरक प्रसंग ⚜️*


                   *!! बंदर का फैसला !!*

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एक व्यक्ति एक जंगल से गुजर रहा था कि उसने झाड़ियों के बीच एक सांप फंसा हुआ देखा। सांप ने उससे सहायता मांगी तो उसने एक लकड़ी की सहायता से सांप को वहां से निकाला। बाहर आते ही सांप ने उस व्यक्ति से कहा कि मैं तुम्हें डसूंगा।


उस व्यक्ति ने कहा कि मैंने तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार किया तुम्हें झाड़ियों से निकाला और तुम मेरे साथ गलत करना चाहते हो। सांप ने कहा कि हां भलाई का जवाब बुराई ही है। उस आदमी ने कहा कि चलो किसी से फैसला कराते हैं। चलते चलते एक गाय के पास पहुंचे और उसको सारी बातें बताकर फैसला पूछा तो उसने कहा कि वाकई भलाई का जवाब बुराई है क्योंकि जब मैं जवान थी और दूध देती थी तो मेरा मालिक मेरा ख्याल रखता था और चारा पानी समय पर देता था। लेकिन अब मैं बूढ़ी हो गई तो उसने भी ख्याल रखना छोड़ दिया है।


ये सुन कर सांप ने कहा कि अब तो मैं डसूंगा, उस आदमी ने कहा कि एक और फैसला ले लेते हैं। सांप मान गया और उन्होंने एक गधे से फैसला करवाया। गधे ने भी यही कहा कि भलाई का जवाब बुराई है, क्योंकि जब तक मेरे अंदर दम था मैं अपने मालिक के काम आता रहा जैसे ही मैं बूढ़ा हुआ उसने मुझे भगा दिया।


सांप उसको डंसने ही वाला था कि उसने मिन्नत करके कहा कि एक आखरी अवसर और दो, सांप के हक़ में दो फैसले हो चुके थे इसलिए वह आखरी फैसला लेने पर मान गया। अबकी बार वह दोनों एक बंदर के पास गये और उसे भी सारी बातें बताई और कहा फैसला करो।


बंदर ने आदमी से कहा कि मुझे उन झाड़ियों के पास ले चलो, सांप को अंदर फेंको और फिर मेरे सामने बाहर निकालो, उसके बाद ही मैं फैसला करूंगा।


वह तीनों वापस उसी जगह पर गये, उस आदमी ने सांप को झाड़ियों में फेंक दिया और फिर बाहर निकालने ही लगा था कि बंदर ने मना कर दिया और कहा कि उसके साथ भलाई मत करो, ये भलाई के काबिल नहीं है।


*शिक्षा:-*

यक़ीन मानिये वो बंदर हम भारतीयों से ज़्यादा बुद्धिमान था। हम भारतीयों को एक ही तरह के सांप बार बार भिन्न भिन्न नामों और तरीकों से डंसते हैं लेकिन हमें ये ख्याल नहीं आता कि ये सांप हैं उनके साथ भलाई करना अपने आप को कठिनाइयों में डालने के बराबर है।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

 जय श्री हरि।


'ऋतु आये फल होय-यह बात संसार में लागू होती है।

परमात्मप्राप्ति की ऋतु नहीं आती।केवल लालसा की जरूरत है। परमात्मप्राप्ति की लगन नहीं है-यही बाधा है। आपके मनसे नाशवान का महत्त्व हट गया तो अन्तःकरण शुद्ध हो गया।


स्वामी रामसुखदासजी महाराज



अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम |

नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते || ७ ||



अस्माकम् - हमारे; तु - लेकिन; विशिष्टाः - विशेष शक्तिशाली; ये - जो; निबोध - जरा जान लीजिये, जानकारी प्राप्त कर लें, द्विज-उत्तम - हे ब्राह्मणश्रेष्ठ; नायकाः - सेनापति, कप्तान; मम - मेरी; सैन्यस्य - सेना के; संज्ञा-अर्थम् - सूचना के लिए; तान् - उन्हें; ब्रवीमि - बता रहा हूँ; ते - आपको ।


 *भावार्थ* 

किन्तु हे ब्राह्मणश्रेष्ठ! आपकी सूचना के लिए मैं अपनी सेना के उन नायकों के विषय में बताना चाहूँगा जो मेरी सेना को संचालित करने में विशेष रूप से निपुण हैं ।


 *श्लोक 1 . 8* 


भवान्भीष्मश्र्च कर्णश्र्च कृपश्र्च समितिंजयः |

अश्र्वत्थामा विकर्णश्र्च सौमदत्तिस्तथैव च || ८ ||


भवान् - आप; भीष्मः - भीष्म पितामह; च - भी; कर्णः - कर्ण; च - और; कृपः - कृपाचार्य; च - तथा; समितिञ्जयः - सदा संग्राम-विजयी; अश्र्वत्थामा - अश्र्वत्थामा; विकर्णः - विकर्ण; च - तथा; सौमदत्तिः - सोमदत्त का पुत्र; तथा - भी; एव - निश्चय ही; च - भी।

 

 *भावार्थ* 

मेरी सेना में स्वयं आप, भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य; अश्र्वत्थामा, विकर्ण तथा सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा आदि हैं जो युद्ध में सदैव विजयी रहे हैं ।



 *तात्पर्य* 

दुर्योधन उन अद्वितीय युद्धवीरों का उल्लेख करता है जो सदैव विजयी होते रहे हैं । विकर्ण दुर्योधन का भाई है, अश्र्वत्थामा द्रोणाचार्य का पुत्र है और सोमदत्ति या भूरिश्रवा बाह्लिकों के राजा का पुत्र है । कर्ण अर्जुन का आधा भाई है क्योंकि वह कुन्ती के गर्भ से राजा पाण्डु के साथ विवाहित होने के पूर्व उत्पन्न हुआ था । कृपाचार्य की जुड़वा बहन द्रोणाचार्य को ब्याही थी ।

 जीतने व कौमौ को जिंदा रखने के लिए शत्रु से भी सीखना चाहिए कि कैसे वे बढ़ रहै कैसे बिजली हो रहे।  और क्यों हम मिटकर लगातार सिमट रहे ,,,,,,सबसे बड़ा काम समाज का है ,,समाज का ताकतवर संगठित व धनवान, बलवान होना बहुत जरूरी है ,,,खूब काम करैं खूभ

 *गङ्गाधरं शशिकिशोरधरं त्रिलोकी*-

*रक्षाधरं निटिलचन्द्रधरं त्रिधारम्।*

*भस्मावधूलनधरं गिरिराजकन्या-*

*दिव्यावलोकनधरं वरदं प्रपद्ये।।*


*देवाधिदेव बाबा विश्वनाथ की जय।*


*हर हर महादेव!*

 *गङ्गाधरं शशिकिशोरधरं त्रिलोकी*-

*रक्षाधरं निटिलचन्द्रधरं त्रिधारम्।*

*भस्मावधूलनधरं गिरिराजकन्या-*

*दिव्यावलोकनधरं वरदं प्रपद्ये।।*


*देवाधिदेव बाबा विश्वनाथ की जय।*


*हर हर महादेव!*

अयोध्या में आज का आधुनिक सुविधाएं

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